Saturday, May 12, 2012

Dr Tessy Thomas.....................डा टेसी थॉमस

Dr Tessy Thomas - is first woman scientist to head missile project

डा टेसी थॉमस – पहली महिला वैज्ञानिक जिन्होंने मिसाइल प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया .

दुनिया को दिखाई है भारत ने अपनी ताकत. देश की ताकत की मिसाल अग्नि 5 मिसाइल का ओडिशा के बालासोर से परीक्षण हुआ है. 20 मिनट में अग्नि को अपने लक्ष्य तक पहुंचना था. ठीक 20 मिनट में ही अग्नि ने अपना लक्ष्य पूरा कर लिया. जिनकी देखरेख में अग्निपरीक्षा में सफल हुआ है देश मिलिए उस अग्निपुत्री से उनका नाम है टेसी थॉमस. मिसाइल महिला, अग्निपुत्री...और न जाने कितने नामों से नवाजी गई इस महिला ने एक ऐसे क्षेत्र में महिलाओं के दमखम का एहसास कराया, जहां कभी पुरुषों की तूती बोलती थी। देश की सुरक्षा को अचूक सामरिक कवच पहनाने वाली इस महिला का नाम है टेसी थॉमस.


नाम- टेसी थॉमस
बचपन-केरल के अलप्पुझा में बीता
कोझीकोड के त्रिशूर इंजीनियरिंग कॉलेज से बी.टेक
पुणे के डिफेंस इंस्टिट्यूट आॅफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से एम.टेक
पति-भार तीय नौसेना में कमोडोर
पुत्र-तेजस(मिसाइल के नाम पर पुत्र का नाम तेजस रखा)
1988 से ही अग्नि कार्यक्रम से जुड़ी हैं
2008 में अग्नि परियोजना निदेशक बनीं
अग्नि-2,3,से भी जुड़ी रहीं 
अग्नि-4 और अग्नि-5 का नेतृत्व कर रही हैं
उनकी टीम मे 20 महिलाएं हैं
उपाधियां-मिसाइल महिला, अग्निपुत्री

देश की सुरक्षा एक ऐसा क्षेत्र, जहां महिलाएं सशक्तिकरण की राह पर हैं और अपने पक्ष की मजबूत दावेदारी दिखा रही हैं। इस क्षेत्र में आखिर महिलाओं की भागीदारी को कम क्यूं आंका जाए। पिछले 20 सालों से टेसी थॉमस इस क्षेत्र में मजबूती से जुड़ी हुई हैं। रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) की वैज्ञानिक डॉ. टेसी थॉमस डीआरडीओ की एक महत्वपूर्ण परियोजना पर काम कर रही हैं। वह 1988 से अग्नि श्रृंखला के प्रक्षेपास्त्रों से जुडी हैं और अग्नि-2 और अग्नि-3 की मुख्य टीम का हिस्सा थीं। थॉमस पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की टीम में भी काम कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि जब मैंने यहां प्रवेश किया था, तब कलाम सर प्रयोगशाला के निदेशक थे। उन्होंने ही मुझे अग्नि परियोजना दी थी। टेसी थॉमस पहली भारतीय महिला हैं, जो देश की मिसाइल प्रोजेक्ट को संभाल रही हैं। टेसी थॉमस ने इस कामयाबी को यूं ही नहीं हासिल किया, बल्कि इसके लिए उन्होंने जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना भी करना पड़ा। उन्हें इन कदमों पर चल कर कामयाबी मिली: 

आमतौर पर रणनीतिक हथियारों और परमाणु क्षमता वाले मिसाइल के क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व रहा है। इस धारणा को तोड़कर डॉ. टेसी थॉमस ने सच कर दिखाया कि कुछ उड़ान हौसले के पंख से भी उड़ी जाती है। साल 1988 में टेसी अग्नि परियोजना से जुड़ीं और तभी से लगातार वह इस परियोजना में काम कर रही हैं। उनकी प्रेरणा से डीआरडीओ में दो सौ से ज्यादा महिलाएं कार्यरत हैं। उनमें से करीब 20 तो सीधे तौर पर उनसे जुड़ी हैं। शुरू में लोग उनसे यह कहते थे कि आप किस दुनिया में काम कर रहीं है, यहां तो केवल पुरुषों का वर्चस्व है, तब वह मुस्करा देती थीं। टेसी की मेहनत का ही नतीजा है कि आज कोई यह नहीं कह सकता कि परमाणु मिसाइल बनाने का क्षेत्र सिर्फ पुरुषों का है।

टेसी करीब तीन साल पहले ही अग्नि परियोजना की प्रमुख बनी थीं और उन्हें पहला आघात तब लगा, जब अग्नि-3 मिसाइल का परीक्षण सफल नहीं हो सका। अरबों रुपये की परियोजना का हिस्सा अग्नि-3 का परीक्षण उड़ीसा के बालासोर के पास हुआ और प्रक्षेपण के महज तीस सेकंड के भीतर ही वह समुद्र में जा गिरी। इसकी काफी आलोचना हुई, मगर टेसी और उनकी टीम ने हार नहीं मानी और कहा कि यह नाकामयाबी जरूर है, लेकिन ऐसी नहीं, जो हमारे हौसलों को तोड़ सके। उन्होंने उस विफलता की वजह रही तकनीकी त्रुटि की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली और कहा कि हम विफल नहीं हुए हैं, हम फिर कोशिश करेंगे और कामयाब होंगे। जिस परियोजना पर पूरी दुनिया की निगाहें हों, उसकी विफलता का अर्थ टेसी जानती थीं और उसकी कामयाबी का भी। अपनी मेहनत, लगन, निष्ठा और मेधा की बदौलत उन्होंने अपने लक्ष्य को पाया। 

टेसी ने कभी अपने जेहन में यह खयाल नहीं आने दिया कि वह ऐसे क्षेत्र में हैं, जहां पुरुषों का बोलबाला है। उन्होंने आगे बढ़कर अपने वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व किया और टीम के मनोबल को बनाए रखा। उनके समक्ष चुनौती बहुत बड़ी थी। गोपनीय प्रोजेक्ट होने के कारण कामयाबी का श्रेय तो लगभग नहीं ही था और नाकामी का ठीकरा फोड़ने के लिए देश-विदेश का मीडिया भी तैयार खड़ा था कि कब टेसी के बहाने ही सही, भारत की रक्षा नीति पर हमला करे। मिसाइल की नाकामी भारत को उलाहना देने के लिए पर्याप्त कारण थी। टेसी ने कभी किसी आलोचना की परवाह नहीं की, उन्हें सदा अपने लक्ष्य को पाने की चिंता थी। महिलाओं के मिसाइल क्षेत्र में आने पर वह कहती हैं कि ‘साइंस हैज नो जेंडर।’ उनकी एक महत्वपूर्ण खूबी यह है कि वह अपनी टीम को कामयाबी का श्रेय देने में कभी कोई कोताही नहीं बरततीं। हाल की कामयाबी के लिए उन्होंने कहा है कि यह तो उनकी टीम की उपलब्धि है।

टेसी की दिलचस्पी बचपन से ही विज्ञान और गणित में थी। रॉकेट और मिसाइल से उनका लगाव तब बढ़ा, जब अमेरिका का अपोलो मून मिशन सफल हुआ। उन्होंने छुटपन में ही तय कर लिया था कि उन्हें आगे जाकर इंजीनियर बनना है। कोझिकोड के त्रिसूर इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने बीटेक की डिग्री ली और फिर उनका चयन पुणे के डिफेंस इंस्टिटय़ूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से एम टेक के लिए हो गया। डीआरडीओ के ‘गाइडेड वेपन कोर्स’ के लिए चयन होते ही अग्नि-पुत्री के तौर पर उनका सफर शुरू हुआ। उन्होंने ‘सॉलिड सिस्टम प्रोपेलेंट्स’ में विशेष दक्षता प्राप्त की। यही वह तत्व है, जो अग्नि मिसाइल में ईंधन का काम करता है।

टेसी जानती हैं कि वह जो काम कर रही हैं, वह काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन इसमें ग्लैमर या प्रसिद्धि अपेक्षाकृत कम है। गोपनीयता के कारण वह सार्वजनिक जीवन में बहुत लोगों से मिलती-जुलती नहीं हैं, मिल-जुल भी नहीं सकतीं। वह अपना ज्यादातर समय अपने काम में ही बिताती हैं। अपनी नई उपलब्धि पर भी मीडिया को जानकारी उन्होंने नहीं दी। जब अग्नि-3 परियोजना विफल हुई थी, तब भी उन्होंने मीडिया से बात नहीं की थी। उनका फलसफा साफ है कि काम खुद बोले, तो बेहतर। महत्वपूर्ण काम है।

वह जानती हैं कि सबसे बड़ा ‘शॉक एब्जॉर्वर’ अगर कोई है, तो वह परिवार ही है। डॉ. कलाम की भले ही वह शिष्या हों, लेकिन उनके उलट टेसी ने शादी की है और उनका एक बेटा है, जिसका नाम मिसाइल के नाम पर ‘तेजस’ रखा है। उनके पति भारतीय नौसेना में कमोडोर हैं। उनके पति भी बेहद व्यस्त जीवन जीते हैं और दोनों को अपनी निजी जिंदगी के लिए बहुत कम वक्त मिल पाता है। इस समस्या का हल उन्होंने यह निकाला है कि जो भी वक्त मिले, उसे क्वालिटी टाइम के रूप में बिताया जाए। टेसी थॉमस खुद मध्यवर्गीय परिवार की हैं और परिवार के मूल्यों को खूब जानती-पहचानती हैं।


Dr. Tessy Thomas 

A rare woman in a male bastion, the 48-year-old was hooked on to science and mathematics from school days, especially wonder-struck at the rocket launches from Thumba on the outskirts of Thiruvananthapuram.
Dr. Tessy Thomas (born in 1964) popularly known as 'Agni Putri', or the daughter of fire, is the Project Director for Agni-V in Defence Research and Development Organisation, Hyderabad. She is the first woman scientist to head a missile project in India.
Tessy hails from Alappuzha, Kerala and did her engineering graduation in Government Engineering College, Thrissur. after completing B.Tech from Thrissur Engineering College, Kozhikode, and an M.Tech in Guided Missile from from the Institute of Armament Technology, Pune (now known as the Defence Institute of Advanced Technology). , this 45 year old who is also tagged as India's missile woman has also worked with the missile man of India , Dr Abdul Kalam the former president of India .
Tessy was associate project director of the 3,000 km range Agni-III missile project. She was the project director for Agni IV which was successfully tested on 2011. Tessy was appointed as the Project Director for 5,000 km range Agni- V in 2009 and is based at the Advanced Systems Laboratory in Hyderabad.. The missile was successfully tested in April 2012.
She has also analysed the reason for the failure of earlier version of Agni III which brought immense help to overcome the shortcomings and successfully launch the Agni III with range of 3,500 km. She has also become the aspiration of millions of women who want to make career in this field. She is also a reflection of a changing scenario of women in India.

as per Tessy herself...

"The world of missiles opened up for me after I happened to be picked as one of 10 youngsters from around the country for a DRDO programme in 1985," Thomas told in a telephone interview, while awaiting a flight from Bhubaneswar after being the toast of the nation earlier in the day.
Right after she landed in DRDO, everything just happened, she says. And that includes a stint as faculty for guided missiles for DRDO in Pune, and having former President APJ Abdul Kalam as her director.
Her own career went ballistic, when she headed the Agni-IV team as project director for vehicles and mission, and was project director (mission) for the more sophisticated Agni V launch.
What does she have to say about a country which has women defence mission directors and, at the same time, rampant female infanticide? "Science shows no gender discrimination, and in that sense offers hope to a society where discrimination is practised.
Here in DRDO, we have a good example of a number of women scientists, who try and balance work and family," she says. Her husband Saroj Kumar Patel is a naval officer based in Mumbai, and son Tejas - named after India's light combat jet - is completing his engineering in Vellore.
Thomas would ideally like to unwind with a game of badminton and some cooking, but "that hasn't happened over the past two years", thanks to the latest editions of the Agni missile programme.
Now that Agni-V has been successfully test launched, would she care more for the trajectory of the shuttle cock? "Well, I now have my sights on the multiple independent re-entry vehicle," says the multi-tasking scientist.


No comments:

Post a Comment